Saturday, 30 July 2011

शब्दों का महत्व है अनमोल, इसलिए हमेशा तोल,मोल के बोल.......:)


शब्द बन सकते हैं घावों पर मरहम,
अगर उनमे हो करुणा और ममता....
शब्द बन सकते हैं हथियार,
अगर उनमे हो फौलादी संकंल्पो की द्रद्ता....
शब्द बन सकते है मंत्र,
अगर उनमे हो समर्पण और आस्था की पवित्रता ......
शब्द बढ़ा सकते हैं मनोबल,
अगर उनमे हो झंझोरने की क्षमता,
शब्द ला सकते हैं इंसान को इंसान के करीब,
अगर उनमे हो पुल बनने की सहजता...
शब्दों का महत्व है अनमोल,
इसलिए हमेशा तोल,मोल के बोल.......:)

Wednesday, 27 July 2011

Hello everyone,
  In continuation with memorable incidences, I would love to share one more incident. As far as I remember, it was incident of the year 2008. I was taking communication classes for BCA final year students. In this class, there was a group of three naughty students who were popularly known as V3( all three had their name from alphabet V).These students were busy in their own world and were mostly turned out of class by other teachers. I had always prefer not to turn students out and never turned them out too.
One day, I was teaching about barriers of communication in their class. When talking about 'closed mind' as a barrier of communication, I quoted that some students have preoccupied idea that this subject is very easy and there is no need to study it. So, this acts as a barrier of communication as these students have their mind closed for encoded message by sender and they are never able to decode it.
Then further talking about ' inattention' as a barrier to communication, I said the students who are physically present but mentally absent will never be able to decode what sender is encoding and it acts as barrier of communication.( I wont quote more as it might be hurting for them)
I saw the students sitting close to this group whispering to V3 group that ma'am is indirectly pointing you out.
One of the 'V' from V3 triplet stood up and asked me to explain the topic again.
I took it positively and without scolding them for being inattentive, I started explaining topic again with same examples.
I saw them sweating and their face turning red but pretended as if i was not noticing them.
Lecture bell rang and I walked out of class to faculty room. They came up to me and said sorry for not being attentive.I smiled and said that it better to be late than never. Its good you realized.
Thereafter, they were the most attentive students in class. I always found myself appreciating them for their spontaneity and active participation in class.

Friday, 22 July 2011

memorable incidences..........:)

Hi all,
  I want to share some memorable incidences regarding my students which happened all of a sudden but have left life long imprint in my mind.
Srishti Manuja(real name) was student of BBA(final year).Her thrust to get into things has always inclined me towards her.She was dilligent girl but was slightly weak with accountancy. It was the time when projects were going on, she came to me one day to take advice on her project, I just asked her informly. I will try to quote words which i still remember.......
Me- Srishti! what are your plans for future?
Srishti- Ma'am, thinking to do MBA, score achcha hai MAT mein aur CAT percentile bhi sahi h, together with LLB.
Me- But you cannot do two courses together.
Srishti- I want to serve nation by providing impartial justice so i want to be a lawyer and want to do MBA as well that too in finance
Me- hmmm....(smiling), You are good student, you can go for both courses.Do LLB regularly and go for PGDBM( fin) by distance education.
Srishti- I was thinking the same way........but ma'am, I want a promise from your side.
Me- Tell me Srishti, dont hesitate in telling.
Srishti- Ma'am! Promise me that you will guide me throughout my life and you will teach me all subjects related to finance. It is difficult to find teachers like you.......Please promise me ...

Her words made me speechless.Her words entered deep in my heart.I smiled and just said ALL THE BEST..........!!!

विद्या का अभिमान

एक नवशिक्षित शहरी बाबू नदी में नाव पर जा रहे थे. उन्होंने आकाश की ओर ताककर केवट से कहा-भैया! तुम नक्षत्र विद्या जानते हो? केवट बोला- बाबूजी! मैं तो नाम भी नहीं जानता! इस पर बाबू ने हंसकर कहा- तब तो  तुम्हारा चौथाई जीवन व्यर्थ हो गया. कुछ देर बाद बाबू ने फिर पूछा- भाई, गणित तो पढ़े हो? केवट ने कहा- मैं तो नहीं पढ़ा.बाबू बोले-तब तो तुम्हारा आधा जीवन मुफ्त में गया. केवट बेचारा चुप रहा.थोड़ी देर बाद नदी के दोनों ओर पंक्तियों को देखकर बोले- तो भैया! तुम वृक्ष विज्ञान शास्त्र तो जानते होंगे? केवट बोला- बाबूजी! मैं कोई शास्त्र वास्त्र नहीं जानता. नाव खेकर किसी तरह पेट भरता हूँ. बाबूजी हंसकर बोले तब तो भैया! तुम्हारे जीवन का तीन चौथाई हिस्सा बेकार ही बीता.
यही बातचीत चल रही थी की अकस्मात् तेज़ आंधी आ गयी. नाव डगमगाने लगी. देखते ही देखते नाव में पानी भर गया. केवट ने नदी में तैरते हुए पूछा- बाबूजी आप तैरना जानते हैं या नहीं? बाबू ने कहा-तैरना जानता तो मैं भी कूद न पड़ता. भैया !बता, अब क्या होगा? केवट बोला- बाबूजी! अब तो सिवा डूबने के कोई उपाय नहीं है.अब तो भगवान् को याद कीजिये.
भवसागर से तरने की आत्मविद्या ही सच्ची विद्या है.इसे न पढ़कर जो लौकिक विध्याओ के पंडित बनकर अभिमान करते हैं, उन्हें तो डूबना ही पड़ता है. 

इंसान के तीन मित्र

एक आदमी को जब ये लगा कि उसकी मौत करीब आ गयी है, तब उसने अपने तीन मित्रो को बुलाया. पहले एक से पूछा-" यदि मैं मर गया तो मेरे लिए तुम क्या करोगे? मित्र ने उत्तर दिया-" मैं क्या कर सकता हूँ , मैं तो बेबस हूँ."
दूसरे मित्र से यही बात पूछी तो उसने उत्तर दिया-"मैं तुम्हारे मरने पर शमशान भूमि तक जाऊंगा और तुम्हारा अंतिम क्रियाकर्म संपन्न करा दूंगा." तीसरे मित्र से यही बात पूछी गयी तो उसने उत्तर दिया-" मैं तो सदैव तुम्हारे साथ रहूँगा. यदि समाज में कोई तुम्हारे बारे में पूछेगा तो बताऊंगा कि तुम सदैव क्या करते रहे हो."
वास्तव में हर इंसान के तीन मित्र हैं-धन, परिवार और कर्म.
आदमी के मरने के बाद धन बेकार हो जाता है , वह यहीं रह जाता है.परिवार उसकी अंतिम क्रिया पर छुट्टी पाता है परन्तु तीसरा मित्र कर्म उसके सदैव साथ रहता है.उसके अच्छे और बुरे किये का लेखा जोखा हमेशा साथ रहता है.   

Thursday, 21 July 2011

सोचने के नज़रिए अनेक.....


एक ग्लास में पानी था.....
एक बोला ग्लास आधा खाली है,
दूसरा बोला ग्लास आधा भरा है.....
ग्लास एक नजरिये अनेक......
हम सब का मालिक हैं एक,
दिया है सबको दिल दिमाग और जीवन भी एक,
कोई कहें उसे सुन्दर बनाया, 
कोई कहे उसने दिमाग ज्यादा पाया,
कोई कहे मुझे लम्बा क्यों नहीं बनाया,
कोई कहे मेरी किस्मत क्यों नहीं जगाई...
दिल, दिमाग और जीवन एक,
सोचने के नज़रिए अनेक.....
मन जिसका होता है  कोमल,
तन भी उसका होता सुन्दर.......
सही दिशा में अच्छा जो सोचे,
दिमाग उसी का लगता ज्यादे .....
देख सके जो ऊपर रहकर जमीन पर,
कद उसी का काफी हैं......
करता पुरषार्थ बिना हुए फल की इच्छा,
किस्मत का तारा जगता उसका......
दिल, दिमाग और जीवन एक,
सोचने के नज़रिए अनेक.....

Tuesday, 19 July 2011

हे तक़दीर बनाने वाले , तेरे रहम के हम शुक्रगुजार रहेगे......

हे तक़दीर बनाने वाले ,
तेरे रहम के हम शुक्रगुजार रहेगे
जिसने ऐसा साथी दिया है
जिसे हम मरते दम तक प्यार करेंगे........
तस्वीर बस एक ही दिखती है....
इन हाथ की लकीरों में,
ऐसा प्यारा मासूम सा साथी ,
मिलता जन्मों जन्मों के नसीबो से......
दोनों हाथों को जब मैं मिलाती हूँ
एक चाँद नज़र आता है,
जो आपकी याद दिला जाता है,
उस याद के सहारे हम दिन गुजार देती है,
और रात को सपनो में आपको बुला लेते है....

Monday, 18 July 2011

दिल और दिमाग

दिल और दिमाग के बीच ,
अजीब कशमकश है......
दिल के बड़े है अरमान,
उड़ना चाहता बड़ी उड़ान......
दुनिया से एकदम अनजान,
कोमल, साफ़, स्वच्छ- ये शब्द हैं इसकी पहचान,
ना पीछे की फिकर,ना आगे का ज्ञान,
ना ही इसके आँख, मुह और कान,
परवाह करता ना किसी की,
जब लेता कुछ मन में ठान.....

दिमाग की तरफ अगर करे हम इशारा,
दुनिया को कर पाता नहीं ये किनारा,
उड़ना चाहे पर चाहिए सहारा,
करता आगे और पीछे का पूरा ब्योरा,
रखता हरदम आँख, कान, मुंह खोला,
सोच समझ कर चलाता अपना घोडा,
लगाता हमेशा दिल पर ताला,
दिमाग का केस है एकदम निराला.....

हंसने की करे बात अगर.....दिल चाहे खुलकर हँसना, दिमाग समझाए देखकर हँसना,
बढ़ने की तरफ अगर करे हम हाथ..........दिल चाहे बढ़ता ही जाऊ,दिमाग सोचे ज्यादे तेज़ी से बदने पर तकलीफ ना पाऊ,
चलने की अगर करे हम बात..........दिल चाहे चलने की ना हो कोई सीमा, दिमाग लगाये ब्रेक और स्पीड करे धीमा,
उड़ने की करे बात अगर.......दिल पहुचे वहां जहाँ कोई पहुच ना पाया, दिमाग ने हेलीकाप्टर बनाया.........

दिल और दिमाग के बीच ,
अजीब कशमकश है......
अगर दोनों का मिल जाये साथ,
तो आप ही सोचो क्या होगा हमारा ठाठ.......

Friday, 15 July 2011

कुछ पल याद आते हैं, चेहरे पर हंसी छोड़ जाते हैं!!!

कुछ पल याद आते हैं,
चेहरे पर हंसी छोड़ जाते हैं!
जब पहली बार हम मिले,
सब थे घेरे खड़े,
हम दोनों की हालत अजीब,
सोच रहे थे क्या सच में जागा है नसीब,
नज़रे थी झुकी-झुकी,
चाहकर भी उठ ना सकी,
चेहरे पर पसीना,
हालत वो भी क्या थी अजीब........
कुछ पल याद आते हैं,
चेहरे पर हंसी छोड़ जाते हैं!
जब हॉल में मैं आई,
सबने एकदम मेरी तरफ टकटकी लगाई,
मन में अजीब ख्याल आया,
क्या किसी लड़की को इन सबने,
पहली बार है देखा,
सोचकर हंसी चेहरे पर आई 
और भाभी की नटखट कानाफूसी से,
डर का मिट गया साया......
कुछ पल याद आते हैं,
चेहरे पर हंसी छोड़ जाते हैं!
जब फोटोग्राफर बोला,
यहाँ पर थोडा धीरे है चलना,
चेहरे पर फिर से हंसी आई,
हमेशा तेज़ कदम रखने वाली लड़की,
की स्पीड में अब गिरावट आई......
कुछ पल याद आते हैं,
चेहरे पर हंसी छोड़ जाते हैं!
नज़रे जो कभी ढूंढे न किसी को,
आज वो भी थी ताक लगाये,
की बस एक झलक मिल जाये.......
कुछ पल याद आते हैं,
चेहरे पर हंसी छोड़ जाते हैं!

to be continued.......:)

वाह क्या राजनीति है........

वाह क्या राजनीति है,
बढ़ जाये बस मेरी वोट की गिनती है,
आज की राजनीति का है ये नारा,
कुर्सी से ज्यादे ना कोई प्यारा,
दीन, ईमान,मित्रता,भाई- चारा,
इन सबका तो नाम भी मिटा डाला,
वोट बढाने के चक्कर में,इंसान काटे इंसान,
जान बन गयी है अब मुली गाजर सामान......:(
वाह क्या राजनीति है,
बढ़ जाये बस मेरी वोट की गिनती है,
कही बम विस्फोट, कही हत्याखांड,
आतंकवाद का नाम दे मज़े ले रहे नेता, 
सब के सामने ऐसे दिखाते, कहकर खामियाजा तो हम देते,
क्या कभी रूपया हो सकता है इंसान की जान समान,
क्या रुपये से वापिस आ सकते हैं ,मरे हुए के प्राण,
क्या रूपये से भर सकती है, किसी विधवा की मांग,
किसी का बेटा,किसी का बाप,क्या है ये सब रूपये समान.......:(
वाह क्या राजनीति है,
बढ़ जाये बस मेरी वोट की गिनती है,
वोट के खातिर रचे जाते है एक से एक षड़यंत्र महान,
मायाचारी, अहंकार, लोभ बन गयी सब नेतायों की शान,
साधु महात्मा का सहारा लेकर,खेले खेल आज के नेता,
क्या शर्म का मतलब सच में भूल गया इंसान,
नैतिकता भूल गया और कर रहा अभिमान,
क्या खुद को समझ रहा भगवान्,
नहीं होता क्या उसका मन परेशान,
कैसे हो सकता है कोई इतना पत्थर सामान !!
ऐसा देख देख कर बस नम हो रही आँखें....:(
सुधर जाओ! सब कुछ देख रहा भगवान्...
अगर नहीं सुधरे तो ऐसा होगा भगवान् का वार,
बंद हो जायेगे तुम्हारे लिए नरक के भी द्वार......

कभी सोचा ना था, ऐसा पल भी आएगा.........

कभी सोचा ना था,
ऐसा पल भी आएगा,
जब मन हलके हलके गुनगुनाएगा,
शर्म के मारे शब्द निकल नहीं पायेगा,
हर दम प्यारा सा अहसास आएगा,
जो नए सपने संझो के लायेगा,
कभी सोचा ना था,
ऐसा पल भी आएगा........
जिंदगी में कुछ ख़ास हो जायेगा,
मजनू-राँझा की कहानी सुनकर हँसते थे हम कभी,
ना सोचा था हम भी कभी मजनू-राँझा कहलायेगे,
कभी सोचा ना था,
ऐसा पल भी आएगा........
हम भी मन ही मन मुस्कुरायेगे
रातें अपनी ख्वाब में बितायेगे,
मिलन की हम भी आस लगायेगे,
कभी सोचा ना था,
ऐसा पल भी आएगा........
मन ही मन गुनगुनाएगे,
चेहरे की हंसी छुपा नहीं पायेगे,
'आपकी' तरफ खिचे चले आयेगे,
इश्क-प्यार का मतलब समझ पायेगे,
कभी सोचा ना था,
ऐसा पल भी आएगा........
'उनसे' बात करने को,
दिल व्याकुल हो जायेगा,
एक अजीब प्यारा सा ख्याल,
हमेशा दिलो दिमाग पर छायेगा,
कभी सोचा ना था,
ऐसा पल भी आएगा........

'गुरु पूर्णिमा' के पावन पर्व पर, मन की अपनी आवाज सुनाऊ.....( गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर गुरूमा के चरणों के सादर समर्पित-15 july 2011 )

मन मंदिर में तुम्हे बैठाकर,
तेरे दर से सब कुछ पाकर,
तेरी कृपा को पल पल पाकर,
तन- मन अपना शांत बनाकर,
श्रद्दा भक्ति से शीश झुकाकर,
परम विश्वास का दीप जलाकर,
प्रीत की डोरी से आपको बांधकर,
ये जन्म अपना सफल बनाऊ,
'गुरु पूर्णिमा' के पावन पर्व पर,
मन की अपनी आवाज सुनाऊ,
मेरी माँ तुम मेरी हो,
तुम मेरी हो.............
माँ तेरी आँखों से,
गहरा प्यार छलकता है,
माँ तेरी वाणी से ,
अमृत रस बरसता है,
माँ तेरी हंसी से,
रोम-रोम  पुलकता है,
माँ तेरे स्पर्श से,
दिल नाच उठता है,
माँ तेरे आशीर्वाद से,
जीवन चमकता है,
माँ तेरे सान्निध्य से,
सब कुछ की मिलता है,
हे माँ तुझे नमन,
नमन, नमन, नमन........
मन मंदिर में तुम्हे बैठाकर,
तेरे दर से सब कुछ पाकर,
'गुरु पूर्णिमा' के पावन पर्व पर,
मन की अपनी आवाज सुनाऊ,
मेरी माँ तुम मेरी हो,
तुम मेरी हो.............

Thursday, 14 July 2011

अपने लिए जीना भी क्या जीना..........

अपने लिए जीना भी क्या जीना,
कितना मीठा होता है दूसरे की ख़ुशी का अमृत रस पीना......
ये अमृत वो ही पी पाते है,
जो सबके साथ वक़्त बिताते है,
हँसते है ,हंसाते है, सबके संग गाते है,
मिलते है, मिलाते है, 
दूसरे के गम को अपना गम,
और ख़ुशी को अपनी ख़ुशी समझ पाते है,
सबकी ख़ुशी के लिए किसी भी हद से गुजर जाते है........
जो चक लेते इस अमृत का स्वाद एक बार,
वो चाहता है इससे चखना बारम्बार,
मिलता है इससे आत्म- सुख बेशुमार,
अपने आप से ही होने लगता है प्यार........
प्यार वो चीज़ है मेरे यार,
जिससे दिलो का जुड़ता दिलो से तार,
और मिलने लगता सबका दुलार,
और दुनिया लगती अनमोल संसार........
जितना प्यार बाटोगे,
उससे कहीं अधिक पाओगे,
हर मौसम का लुत्फ उठाओगे,
फूलो की तरह मह्कोगे,
सब दिलो पर छाओगे,
दुनिया में अपनी चमक छोड़ जाओगे.........
अपने लिए जीना भी क्या जीना,
कितना मीठा होता है दूसरे की ख़ुशी का अमृत रस पीना......

जब से मिला है साथ आपका , मुझको कविता लिखना आ गया है......

जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है......
कलम को अपनी मुझे,
एक नयी दिशा में चलाना आ गया है....
कभी गंभीर कभी चुलबुलापन,
हँसना-हँसाना,रूठना- मनाना,
का मतलब समझ में आ गया है....
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है......
जिम्मेदारियां अनेक,कुछ रिश्ते विशेष,
की कसौटी से है गुजरना.......
ये समझ में आ गया है.......
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है......
दो परिवारों बीच पुल बनकर,
हँसते हँसते है रहना,
ये अहसास हो गया है......
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है......
घर और बाहरी दुनिया के बीच,
संतुलन है बिठाना,
ये भी समझ में आ गया है..........
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है....
बच्चों संग बच्चा, बड़ों संग बड़ा,
बनकर है रहना,
ये दिलोदिमाग पर छा गया है......
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है....
'आप' की उम्मीदों और विश्वास पर,
है खरा उतरना,
ये ख्याल मन में छा गया है.......
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है....:)

Wednesday, 13 July 2011

कितना स्वार्थी हो गया देखो, कलयुगी इंसान है.....:(

कितना स्वार्थी हो गया देखो,
कलयुगी इंसान है,
कैसे करू अपना उल्लू सीधा
यही रह गया दीन ईमान है,
सोचे, कैसे आऊ उसके करीब,
जिससे पूरे होते अपने अरमान है,
चापलूसी,चमचागिरी में  व्यस्त 
रहता ऐसा इंसान है,
ना अपना कोई अस्तित्व ,
ना ही अपनी पहचान है,
कितना स्वार्थी हो गया देखो,
कलयुगी इंसान है,
खुद मेहनत करने से डरता,
पकी पकाई खा कर खुश रहता,
पता नहीं कैसे इंसान है,
जलन के मारे ही मर जाता,
बुराई भलाई में तत्पर रहता,
झूठी बनाता अपनी शान है,
कितना स्वार्थी हो गया देखो,
कलयुगी इंसान है,
देश की उन्नति में अवरोधक बनता,
भ्रष्टाचार, लड़ाई- झगड़े का जनदाता,
घूसकोरी, धोखादरी के मार्ग पर चलता,
लालच, क्रोध,अज्ञान -ये तीन शब्द
स्वार्थी इंसान की पहचान है,
कितना स्वार्थी हो गया देखो,
कलयुगी इंसान है,
अंत में खुद को अकेला पाता,
निराशावादी हो कर रह जाता,
पतन की तरफ बढता जाता,
अकेलेपन में ही मर जाता,
स्वार्थी चंद दिनों का मेहमान है,
कितना स्वार्थी हो गया देखो,
कलयुगी इंसान है.......

ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं, अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं........

ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,
अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं,
जीवन की कलि खिलती है माँ के आँचल की छाया में,
पापा के  सिर पर प्यार भरे हाथ और दुलार की  साया में,
बाबा, अम्मा का मिलता है प्यार ख़ास,
क्यूंकि मूल से प्यारा होता है ब्याज,
चाचा, चाची का मिलता संग साथ,
जो सिखाता रिश्तों की गहराई साफ़,
भैया के मन में आता, ख़त्म हो गया मेरा एकछत्र राज़,
फिर जैसे जैसे कलि खिलती है, 
भाई-बहिन के प्यार की खुशबू महकती है.....
ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,
अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं.......
नाना, नानी की बचपन से सीख और प्यार,
भर देती कलि में संस्कार,
मौसी का प्यार मिलता हरदम,
क्यूंकि अब मौसी का ध्यान रहता ,
इस नन्ही कलि पर हर दम,
बुआ, फूफा का अमिट दुलार,
चह्काता  इस कलि को बार बार.........
ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,
अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं.......
धीरे धीरे ये कलि और खिलती है,
नए नए रिश्तों संग मिलती है,
गुरु का होता जीवन में प्रवेश,
इस रंग की अहमियत है विशेष,
ज्ञान का अमृत कलि में बढता है,
जीवन की बारीकियों का पता चलता है......
फिर आते है नए नए दोस्त संग-साथी,
जिनके साथ शुरू हो जाती,
प्रतिस्पर्धा,पढाई,लड़ाई और मौज मस्ती,
धीरे धीरे कलि में रंग बढता है,
ज्ञान रूपी उजाला अज्ञान तिमिर को हरता है........
जब मिल जाये भाभी रूपी दोस्त का साथ,
कलि कैसे न करे अपने ऊपर नाज़,
जीवन में आता जब प्यारा चंचल भतीजा,
कलि की मुस्कराहट का नहीं लगा सकते आप अंदाजा.......
जब मिलती किसी अच्छे सत-गुरु की शरण,
तो  कलि की महक का नहीं हो सकता शब्दों में वर्णन......
ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,
अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं.......
धीरे धीरे कलि फूल में बदलती है,
हवा, धूप, बारिश, तूफ़ान में,
अपना अस्तित्व बनाने को तरसती है,
जो फूल सह जाता इन सब का वार,
वो परिपक्व होता और फैलाता खुशबू बेशुमार.....
आते अलग अलग लोग हर रोज,
दे जाते कोई नई सीख ,कोई नई सोच,
ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,
अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं.......
ये फूल अब उस पड़ाव पर चलता है,
जब कोई दूसरे  समान फूल से मिलने को तरसता है,
जब आ जाता मन चाहा सम-फूल,
फूल की महक बढ़ जाती भरपूर,
नए नए रिश्तों से होता है मिलन,
सास- ससुर का होता जब जीवन में आगमन,
देवर, नन्द, नंदोई,भांजा बन जाते ख़ास,
फूल को लगता हो जाऊ मैं इनके दिल के पास,
चाचा-चाची ,भाई- बहिन,
बन जाते अटूट बंधन........
ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,
अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं.......
जब दो फूल मुस्कुराते साथ साथ,
ये सब रिश्ते बन जाते और ख़ास............
ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,
अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं.......

जीवन में आया नया दौर.........

जीवन में आया नया दौर,
ख़ुशी से चल पड़ी मैं उस ओर,
नए नए रिश्ते,
बन कर आये जीवन में फ़रिश्ते,
बड़ो का आशीर्वाद, बच्चो का प्यार,
बड़ी खुशनसीब हूँ मैं जो मिला इतना दुलार,
दादाजी का आशीष भरा सिर पर हाथ,
बनकर आया जीवन का वरदान,
पापाजी, मम्मीजी की सादगी और अपनापन,
विपुल भैया का शर्मीलापन और भोलापन,
जीजाजी की सादगी में मस्तिपन,
मोना दीदी की ढेर सारी बातें,
सिखा गयी क्या होते हैं रिश्ते नाते.......
जीवन में आया नया दौर,
ख़ुशी से चल पड़ी मैं उस ओर.......
चाचा , चाची की आँखों में पाया ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद,
जो की हमेशा रहेगा मुझे याद,
प्रियंका की शरारती हंसाने वाली अदा,
पर हम हो गए पूरी तरह फ़िदा,
खुशबु की मीठी-मीठी प्यारी- प्यारी बात,
याद रहती है मुझे दिन रात,
मामी कहना अर्णव का तुतलाकर,
इस प्यारे क्षण ने सिखा दिया,
की अब में बड़ी हो गयी हूँ,
इन सब अनमोल रिश्तो को अपनाके....
जीवन में आया नया दौर,
ख़ुशी से चल पड़ी मैं उस ओर........
सचिन- आकांक्षा का साथ है ऐसा 
जैसे दिल और धड़कन,
शब्द भी कम पड़ जायेगे,
अगर करने लगू वर्णन,
जीवन में आया नया दौर,
ख़ुशी से चल पड़ी मैं उस ओर,
औरो को अभी मैं ज्यादा जान नहीं पायी,
लेकिन विश्वास है जितना जनूगी,
पाऊँगी क्या होती है रिश्तों की गहराई,
भगवान् से बस यही है प्रार्थना,
संजो कर रख पाऊ इन अनमोल रिश्तों का खज़ाना............
जीवन में आया नया दौर,
ख़ुशी से चल पड़ी मैं उस ओर......

Tuesday, 12 July 2011

एक है लड़का..........

एक है लड़का
एकदम निराला
अपनी धुन में रहता है
सुनता सबकी 
करता मन की
हमेशा हँसता रहता है
आगे बढ़ने की चाह
कुछ कर दिखाने का जज्बा
सूरज सी रौशनी फैलाने की लगन 
आगे बढ़ते जाने का मन
मन का कोमल
वाक् पटुता
एक है लड़का 
एकदम निराला 
अपनी धुन में रहता है
सीधा सादा
मधुर व्यवहार
मीठी बोली
खुद पर विश्वास
एक है लड़का 
एकदम निराला 
अपनी धुन में रहता है
मदद करता सबकी
लेकिन कभी व्यक्त ना करता
जब कोई पूछे ,
बन जाता अनजान
दोस्तों संग मस्ती
बच्चों  संग बचपना
बड़ो संग गहरी बातें
अनगिनत गुणों की खान
एक है लड़का 
एकदम निराला 
अपनी धुन में रहता है
अपने को खुशकिस्मत समझू
जो आया मेरी जिंदगी में
ऐसा इंसान
खूब  उचाई पर ये पहुचे
पूरा हो इसका हर एक अरमान
एक है लड़का 
एकदम निराला 
अपनी धुन में रहता है....

माँ श्री का pc हमेशा रहता है on........

माँ श्री का pc हमेशा रहता है on,
अगर आपमें श्रद्दा और समर्पण की hard disk,
तो आशीर्वाद पाने से आपको रोक सकता है कौन,
अपनी ज़िन्दगी से क्रोध,अहंकार,लोभ और द्वेष की delete करो,
और झटपट माँ श्री के दिल का password को access करो,
माँ श्री के चरणों में आने से वो software मिलता है,
जिससे जीवन की हर problem का solution एकदम होता है.....
माँ श्री के input की file हमेशा अपने अन्दर save रहे,
जिससे की हमारे output हमेशा up-to-date रहे,
भैया जी की working में no error is found,
संस्थान के प्रति उनका devotion ऐसा है जिसका कभी नहीं होता server down,
माँ श्री का software, भैया जी का mouse, दीदियों की processing का ऐसा होगा result,
की आदिवीर विद्या श्री संस्थान होगा on top of the world,
घंटा कर्ण बाबा का चमत्कारी मंत्र हमेशा हमारी memory में save रहे,
उसका routine जाप कर हम अपना future bright and perfect करे,
आपके आशीर्वाद और प्यार के e-mail हमेशा हमें मिलते रहे,
जिससे जीवन के सारे virus remove हो और सही मार्ग पर हम चलते रहे,
'आकांक्षा' अपनी application बाबा के चरणों में रखती है,
की माँ श्री और मेरा connection कभी time out ना हो.......... 

This poem was recited by me on inaugration of free computer education centre at ' Aadiwir Vidhya Shri Sansthan', Hastinapur on 15 August 2010. Aadiwir Vidhya Shri Sansthan is trust established to work exclusively for religious, charitable, cultural & educational purposes for upliftment of mankind. It is established under blessings of VIDHYA SHRI MATAJI and VIDHA SHRI MATAJI, Shri Indra kumar bhaiya ji is taking care of its proper functioning and didis(Rajjo, Rajni and Sandhya) rendering their whole hearted support.I feel proud to be associated with such wonderful cause.......

एक पल ने बदली राह.......

ज़िन्दगी की डगर पर चले जा रहे थे हम,
आंसू  और गम पिए जा रहे थे हम,
पानी में कश्ती लिए जा रहे थे हम,
मौसम की बेरुखिया सहे जा रहे थे हम,
भीड़ में भी अकेले नज़र आ रहे थे हम,
ज़िन्दगी की डगर पर चले जा रहे थे हम....

अचानक एक पल ने बदली राह,
अब मौसम की हर अदा जिए जा रहे है हम,
अकेले में भी अकेले नज़र नहीं आ रहे है हम,
चिड़ियों के साथ गुनगुना रहे है हम,
फूलों के साथ मुस्कुरा रहे है हम,
ज़िन्दगी की डगर पर चले जा रहे है हम...........:)

क्या यही प्यार है........

क्या यही प्यार है,
आँखों में अजीब चमक,
चेहरे पर निराली दमक,
मन में तरंगे भरपूर,
शरीर में अजीब सनसनी,
होठों पर नटखट मुस्कान,
गालों पर शर्म लालिमा,
कानों में आवाज़ गूंजती,
कोई छेड़े तो लगे अच्छा,
दुनिया से एकदम अनजान,
उमंगों का नया सिलसिला,
दिन में भी सपने हज़ार,
बैठें बैठें ख्याल लाता
चेहरे पर मंद-मंद मुस्कान,
क्या यही प्यार है........

ज़िन्दगी का ये लम्हा बहुत ही ख़ास है............

जिंदगी का ये लम्हा बहुत ही ख़ास है,
अजीब अजीब सी हलचल है,
खोया खोया सा अहसास है,
मन में अजीब सी प्यास है,
ज़िन्दगी का ये लम्हा बहुत ही ख़ास है....

प्रेम प्रसंगों का वैसे बहुत पुराना इतिहास है,
लेकिन अपना कुछ अलग होगा मन में विश्वास है,
मितवा मिला है ऐसा,
जिसकी हर अदा पर हमको नाज़ है,
जिंदगी का ये लम्हा बहुत ही ख़ास है ......

जी ले इस लम्हे को जी भर कर,
बस यही प्रयास है,
मन में तरंगे का नया ही साज़ है,
अकेले में भी बहुत प्यारा अहसास है,
ज़िन्दगी का ये लम्हा बहुत ही ख़ास है....

खुशियों से भरा आशियाना होगा अपना,
मन में पूरा विश्वास है,
दुनिया की नज़रों से बचायेगे हमहे,
भगवान् पर अडिग विश्वास है,
ज़िन्दगी का ये लम्हा बहुत ही ख़ास है............

Monday, 11 July 2011

god on earth......

Meine iswar ko nahi dekha,
Dekha hai Vidhya Shri- Vidha Shri Maa  ko!

           
Suraj jinke charno mein,
          Aakar sheesh jhukata hai
        Prakriti ka rom- rom,
        Jinke geet sunata hai!
        Devta bhi jinke charno mein,
        Natmastak ho jate hai!
        Aisi maa ke charno mein
       Hum bhi sheesh jhukate hai!


Gyaan sindhu jinme basa hai,
Meine dekha hai aisi maa ko!
Meine iswar ko nahi dekha,
Dekha hain Vidhya Shri- Vidha Shri Maa ko!

Sunday, 10 July 2011

EQ Vs IQ

"It is not the strongest of the species that survives, nor the most intelligent, but the one most responsive to change" - Charles Darwin
EQ or Emotional Quotient is a measure of one's emotional intelligence. It is the ability to use both emotional and cognitive thought. Emotional intelligence skills include empathy, intuition, creativity, flexibility, resilience, stress management, leadership, integrity, authenticity, intrapersonal skills and interpersonal skills. It involves the lower and central sections of the brain called the limbic system. It also primarily involves the amygdale, which has the ability to scan everything that's happening around to analyze their pros and cons.
IQ or Intelligence Quotient is a measure of intelligence.IQ is used to measure one's cognitive abilities such as the ability to learn or understand new situations; how to reason through a given problem/scenario; the ability to apply knowledge to one's current situations. It involves primarily the neo cortex or top portion of the brain
IQ was originally a very practical concept developed to predict children learning ability in school. An IQ test assessed academic subjects: math, reading, vocabulary, along with logical and spatial reasoning. It could measure how much each child knew and predict if they could apply that knowledge. The result was an IQ score.  EQ is also about how you use your knowledge and skills. The knowledge is emotional rather than logical. Emotional Intelligence considers how well people understand themselves and others and then applies that understanding to better manage both intra-personal and inter-personal interactions. Individuals with high EQ are better equipped to make use of their cognitive abilities. They are often chosen for advancement in their professions or volunteer experiences because they possess the ability to inspire people to action and to make others feel more confident. People with high IQ's but low EQ's sometimes sabotage themselves because they are unable to relate to their peers and are unable to handle stress constructively.
Emotional intelligence consists of four core abilities:
Self-awareness – It is the ability of recognizing one’s own emotions and their affect on one’s thoughts and behavior accompanied by complete knowledge of one’s strengths and weaknesses. Full acknowledgement of oneself in conjunction with positives and negatives gives boost to confidence level and eliminates the effects of negative comments, false praise and needless criticism
Self-management – The art of controlling impulsive feelings and behaviors, managing one’s emotions in healthy manner, taking initiative, fulfilling commitments and adapting to changing circumstances is self management. It is future- focused behavior based on choice.
Social awareness – The ability to understand the emotions, needs and concerns of other people at work place is social awareness. When one has a better understanding of others regarding what makes them, who they are (their personal style), what's important to them (motivating factors) and their ability to be empathetic and interested in others will improve communication and comfort level.
Relationship management – It includes the ability to develop and maintain good relationships, communicate clearly, inspire and influence others, better teamwork and conflict management.
COMPARISONS BETWEEN EQ AND IQ

  •  Knowing how and why v/s Knowing what
  • Appealing to reason and emotions to convince someone v/s Trying to convince someone by facts alone
  • Using your emotions as well as your cognitive abilities to function more effectively v/s Relying solely on your cognitive skill
  • Understanding and controlling one’s emotions to use them for something v/s allowing ones emotions to control oneself because of unawareness of how to control emotions
  •  Getting promotion v/s Getting job
  •  Knowing how to motivate each person v/s Treating everything as if they operated the same way which they don't
  • Heart smart v/s book smart
  •  Lifetime ticket to growth and success v/s Entry ticket

Importance of EQ
 Enhancement of personal productivity – It allows people to think more clearly under pressure, eliminating time wasted by feelings of anger, anxiety and fear. 
Team Performance - People with high EQ skills get along better and don't let anxieties and frustrations get in the way of solving problems. 
Motivation - People with high EI skills positively impact every person they contact. They are the role models of excellent performance. 
Customer Satisfaction - Excellent customer service is based on sincere care. People with high EI skills take care of themselves and extend sincere care to others.
Creativity & Innovation - People with high EI skills calm and clear their minds quickly and easily opening the way for insight and intuitive, creative ideas. 
Time Management - People with high EI skills do not waste time worrying, arguing and guessing themselves. They choose productive behaviors. 
 Work/Life Balance - Improved personal productivity and improved staff performance means people can confidently leave work at a reasonable time. 
Stress Reduction - People with strong EI skills easily handle emotions of anxiety, frustration and fear that cause stress in today's work world.


Conclusion and Suggestions
To conclude, EQ gets one through life whereas IQ gets one through school. Strong EQ also makes you more able to access the benefits of your IQ because it takes to build a successful career, strong relationships and a fulfilling life. IQ defines how smart you are whereas EQ determines how you use that blessing.
Developing your EQ can help you access your innate intelligence and amplify your empathy which can lead to career advancement and better relationships. Emotional intelligence can be developed by five key skills, each building on the last:
Skill 1: Rapidly reduce stress
Whenever a person is under high levels of stress, ability to think rationally and to take appropriate decisions goes out of the window. Runaway stress overwhelms the mind and body and gets in the way of one’s ability to accurately “read” the situation, hear what someone else is saying, be aware of our own feelings and needs and to communicate clearly. The first key skill of emotional intelligence is the ability to quickly calm down when one is feeling overwhelmed. Being able to manage stress in the moment is the key to resilience. This emotional intelligence skill helps one stay balanced , focused and in control of all challenges one faces.
Skill 2: Connect to your emotions
The second key skill of emotional intelligence is having a moment-to-moment awareness of one’s emotions and how they influence one’s thoughts and actions. Emotional awareness is the key to understanding oneself and others.
Many people are disconnected from their emotions–especially strong core emotions such as anger, sadness, fear, and joy. Although one can distort, deny or numb one’s feelings but cannot eliminate them. They’re still there, whether one is aware of them or not. Unfortunately, without emotional awareness, one is unable to fully understand our own motivations and needs or to communicate effectively with others.
In order to be emotionally healthy and emotionally intelligent, one must reconnect to core emotions, accept them and become comfortable with them.
Skill 3: Nonverbal communication
Being a good communicator requires more than just verbal skills. What one say is less important than how one say it. In order to hold the attention of others and build connection and trust, one needs to be aware of and in control of our nonverbal cues. One also needs to be able to accurately read and respond to the nonverbal cues that other people send us. 
Nonverbal communication is the third skill of emotional intelligence.
Part of improving nonverbal communication involves paying attention to:       
&   Eye contact
&   Facial expression
      Tone of voice
       Posture and gesture
      Touch
      Timing and pace
     Skill 4: Use humor and play to deal with challenges
Humor, laughter, and play are natural antidotes to life’s difficulties. They lighten our burdens and help us keep things in perspective. A good hearty laugh reduces stress, elevates mood and brings our nervous system back into balance. The ability to deal with challenges using humor and play is the fourth skill of emotional intelligence. Playful communication broadens our emotional intelligence and helps us:
Take hardships in stride.
Smooth over differences.
Simultaneously relax and energize ourselves.
Become more creative.                    
Skill 5: Resolve conflict positively
Conflict and disagreements are inevitable in relationships. Two people can’t possibly have the same needs, opinions, and expectations at all times. However, that needn’t be a bad thing! Resolving conflict in healthy, constructive ways can strengthen trust between people. When conflict isn’t perceived as threatening or punishing, it fosters freedom, creativity and safety in relationships. The ability to manage conflicts in a positive, trust-building way is the fifth key skill of emotional intelligence. Successfully resolving differences is supported by the previous four skills of emotional intelligence. Once one knows how to manage stress, stay emotionally present and aware, communicate nonverbally and use humor and play, one will be better equipped to handle emotionally-charged situations and defuse many issues before they escalate.
Although "regular" intelligence is important to success in life, emotional intelligence is key to relating well to others and achieving your goals. IQ is usually less important in determining how successful we are than EQ. We all know people who are academically brilliant and yet are socially inept and unsuccessful. What they are missing is emotional intelligence. Compassion and humanity are fundamental life forces. Our Emotional Intelligence enables us to appreciate and develop these vital connections between self, others, purpose, meaning, existence, life and the world as a whole and to help others do the same. People with strong EQ have less emotional 'baggage' and conversely people with low EQ tend to have personal unresolved issues which either act as triggers or are constants in personality make-up. The higher a person's EQ, the less insecurity is likely to be present and the more openness will be tolerated.
High EQ = low insecurity = more openness
High IQ can get you in the door but it is then one's EQ that makes the difference between "good" and "great."

Saturday, 9 July 2011

Tribute.......( to all my teachers)

Cherish your visions and your dreams as they are the children of your soul; the blueprints of your ultimate achievements.


Primary education lays the basis for future learning and success. The skills and values that primary education instills are no less than foundational and serve as basis for all future learning---whether formal or informal.
I feel proud in quoting that I got my primary education from Morning Glory. The foundation which I got from there has helped me throughout my student and professional life.

Learning to play is essential for a child's intellectual and emotional development.  Play can help a child work out situations in their environment, such as social dynamics in a group. Individual attention accompanied by learning with play was the remarkable feature during my education at Morning Glory. It cultivated in me the habit of being innovative and inquisitive.
This led to my remarkable achievement in field of academics as I topped university in M.com and got a gold medal. It also helped me in scoring 90% marks in PGDBA (Fin) and in writing thesis for Ph.d degree.

The ability to communicate is the primary feature that distinguishes human beings from animals. It is the ability to communicate well that distinguishes one individual from another. In morning glory I learned how to communicate without hesitation. This was the hidden fact behind my success in my profession of  lecturer.
Writing skills can be the ticket to better college grades and greater academic achievement. I am extremely happy to mention that because of the hard work of all my incredible teachers, I am able to write national and international level research papers.

I am indebted to my parents for living, but to my teacher for living well. I am grateful to and will always be to teachers who provided me such a wonderful platform. I bow my head in gratitude and express my feelings in delight as it has been rightly said that……
 
Feeling gratitude and not expressing it is like wrapping a present and not giving it.  ~William Arthur Ward

Showers of blessings from jain ratnas(vidhya shri mataji and vidha shri mataji) has always inspired me......

Maa ye kaisa hai connection,
  jisne change kar di,
    jeevan ki direction,
      jisne remove kar di,
        mann ki sari tension,
            Maa ye kaisa hai....................

                 Maa ye kaisa hai attraction,
                  khichi si chali aati hu,
                    without any question,
                      mann me jisne ,
                        create kar di nai vibration,
                           Maa ye kaisa hai..................

                                                  Maa ye kaisa hai affection,
                                                     pyaar ka jisne,
                                                        laga diya hai injection,
                                                           jisne sikha diya,
                                                               mujhe karna apna introspection,
                                                                  Maa ye kaisa hai..................

                                                                                      Maa ye kaisa hai connection,
                                                                                        jise kaise karu mein mention,
                                                                                              jeene ka jisne,
                                                                                                  seekha diya hai mujhe lesson,
                                                                                                      tere charno mein hai devotion,
                                                                                                         Maa ye kaisa hai...................