Friday, 15 July 2011

'गुरु पूर्णिमा' के पावन पर्व पर, मन की अपनी आवाज सुनाऊ.....( गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर गुरूमा के चरणों के सादर समर्पित-15 july 2011 )

मन मंदिर में तुम्हे बैठाकर,
तेरे दर से सब कुछ पाकर,
तेरी कृपा को पल पल पाकर,
तन- मन अपना शांत बनाकर,
श्रद्दा भक्ति से शीश झुकाकर,
परम विश्वास का दीप जलाकर,
प्रीत की डोरी से आपको बांधकर,
ये जन्म अपना सफल बनाऊ,
'गुरु पूर्णिमा' के पावन पर्व पर,
मन की अपनी आवाज सुनाऊ,
मेरी माँ तुम मेरी हो,
तुम मेरी हो.............
माँ तेरी आँखों से,
गहरा प्यार छलकता है,
माँ तेरी वाणी से ,
अमृत रस बरसता है,
माँ तेरी हंसी से,
रोम-रोम  पुलकता है,
माँ तेरे स्पर्श से,
दिल नाच उठता है,
माँ तेरे आशीर्वाद से,
जीवन चमकता है,
माँ तेरे सान्निध्य से,
सब कुछ की मिलता है,
हे माँ तुझे नमन,
नमन, नमन, नमन........
मन मंदिर में तुम्हे बैठाकर,
तेरे दर से सब कुछ पाकर,
'गुरु पूर्णिमा' के पावन पर्व पर,
मन की अपनी आवाज सुनाऊ,
मेरी माँ तुम मेरी हो,
तुम मेरी हो.............

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