शब्द बन सकते हैं घावों पर मरहम,
अगर उनमे हो करुणा और ममता....
शब्द बन सकते हैं हथियार,
अगर उनमे हो फौलादी संकंल्पो की द्रद्ता....
शब्द बन सकते है मंत्र,
अगर उनमे हो समर्पण और आस्था की पवित्रता ......
शब्द बढ़ा सकते हैं मनोबल,
अगर उनमे हो झंझोरने की क्षमता,
शब्द ला सकते हैं इंसान को इंसान के करीब,
अगर उनमे हो पुल बनने की सहजता...
इसलिए हमेशा तोल,मोल के बोल.......:)
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