Thursday, 14 July 2011

जब से मिला है साथ आपका , मुझको कविता लिखना आ गया है......

जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है......
कलम को अपनी मुझे,
एक नयी दिशा में चलाना आ गया है....
कभी गंभीर कभी चुलबुलापन,
हँसना-हँसाना,रूठना- मनाना,
का मतलब समझ में आ गया है....
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है......
जिम्मेदारियां अनेक,कुछ रिश्ते विशेष,
की कसौटी से है गुजरना.......
ये समझ में आ गया है.......
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है......
दो परिवारों बीच पुल बनकर,
हँसते हँसते है रहना,
ये अहसास हो गया है......
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है......
घर और बाहरी दुनिया के बीच,
संतुलन है बिठाना,
ये भी समझ में आ गया है..........
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है....
बच्चों संग बच्चा, बड़ों संग बड़ा,
बनकर है रहना,
ये दिलोदिमाग पर छा गया है......
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है....
'आप' की उम्मीदों और विश्वास पर,
है खरा उतरना,
ये ख्याल मन में छा गया है.......
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है....:)

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