Monday 18 July 2011

दिल और दिमाग

दिल और दिमाग के बीच ,
अजीब कशमकश है......
दिल के बड़े है अरमान,
उड़ना चाहता बड़ी उड़ान......
दुनिया से एकदम अनजान,
कोमल, साफ़, स्वच्छ- ये शब्द हैं इसकी पहचान,
ना पीछे की फिकर,ना आगे का ज्ञान,
ना ही इसके आँख, मुह और कान,
परवाह करता ना किसी की,
जब लेता कुछ मन में ठान.....

दिमाग की तरफ अगर करे हम इशारा,
दुनिया को कर पाता नहीं ये किनारा,
उड़ना चाहे पर चाहिए सहारा,
करता आगे और पीछे का पूरा ब्योरा,
रखता हरदम आँख, कान, मुंह खोला,
सोच समझ कर चलाता अपना घोडा,
लगाता हमेशा दिल पर ताला,
दिमाग का केस है एकदम निराला.....

हंसने की करे बात अगर.....दिल चाहे खुलकर हँसना, दिमाग समझाए देखकर हँसना,
बढ़ने की तरफ अगर करे हम हाथ..........दिल चाहे बढ़ता ही जाऊ,दिमाग सोचे ज्यादे तेज़ी से बदने पर तकलीफ ना पाऊ,
चलने की अगर करे हम बात..........दिल चाहे चलने की ना हो कोई सीमा, दिमाग लगाये ब्रेक और स्पीड करे धीमा,
उड़ने की करे बात अगर.......दिल पहुचे वहां जहाँ कोई पहुच ना पाया, दिमाग ने हेलीकाप्टर बनाया.........

दिल और दिमाग के बीच ,
अजीब कशमकश है......
अगर दोनों का मिल जाये साथ,
तो आप ही सोचो क्या होगा हमारा ठाठ.......

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