Thursday 21 July 2011

सोचने के नज़रिए अनेक.....


एक ग्लास में पानी था.....
एक बोला ग्लास आधा खाली है,
दूसरा बोला ग्लास आधा भरा है.....
ग्लास एक नजरिये अनेक......
हम सब का मालिक हैं एक,
दिया है सबको दिल दिमाग और जीवन भी एक,
कोई कहें उसे सुन्दर बनाया, 
कोई कहे उसने दिमाग ज्यादा पाया,
कोई कहे मुझे लम्बा क्यों नहीं बनाया,
कोई कहे मेरी किस्मत क्यों नहीं जगाई...
दिल, दिमाग और जीवन एक,
सोचने के नज़रिए अनेक.....
मन जिसका होता है  कोमल,
तन भी उसका होता सुन्दर.......
सही दिशा में अच्छा जो सोचे,
दिमाग उसी का लगता ज्यादे .....
देख सके जो ऊपर रहकर जमीन पर,
कद उसी का काफी हैं......
करता पुरषार्थ बिना हुए फल की इच्छा,
किस्मत का तारा जगता उसका......
दिल, दिमाग और जीवन एक,
सोचने के नज़रिए अनेक.....

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